जाटका भाटका की कहानी

जाटका भाटका की कहानी | विश्राम देवता की कहानी | नगर बसेरा की कहानी   विश्राम देवता किसी गाँव में एक भाटका व एक जाटका रहता था, दोनों में परम् मित्र थे | एक बार जाटका अपनी बहन के घर जाने को तैयार हुआ तो भाटका अपनी ससुराल जाने को तैयार हुआ | दोनो साथ चल पड़े तो रास्ते में

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लपसी तपसी की कहानी ( कथा )

एक लपसी था, एक तपसी था। तपसी हमेशा भगवान की तपस्या में लीन रहता था। लपसी रोजाना सवा सेर की लापसी बनाकर भगवान का भोग लगा कर जीम लेता था। एक दिन दोनों लड़ने लगे। तपसी बोला मैं रोज भगवान की तपस्या करता हूं इसलिए मै बड़ा हूं। लपसी बोला मैं रोज भगवान को सवा सेर लापसी का भोग लगाता

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शरद पूर्णिमा बिन्दायक जी की कहानी ( कथा )

एक मेंढक और मेंढकी थे। मेंढकी रोज़ गणेश जी की कहानी कहती थी। एक दिन मेंढक बोला कि तू पराये पुरुष का नाम क्यों लेती है ?अगर तू लेगी तो मैं तुझे मारूंगा। राजा की दासी आयी तो पतीले में डालकर अंगीठी पर चढ़ा दिया। जब दोनों सिकने लगे तो मेंढक बोला ,”मेंढकी बहुत कष्ट हो रहा है। तू गणेशजी

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शरद पूर्णिमा व्रत कथा

एक साहूकार के दो बेटियां थी। दोनों बेटियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी। बड़ी बेटी पूरा व्रत करती थी परंतु छोटी बेटी अधूरा व्रत करती थी। विवाह योग्य होने पर साहूकार ने अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर दिया. बड़ी बेटी के घर समय पर स्वस्थ संतान का जन्म हुआ. संतान का जन्म छोटी बेटी के घर भी हुआ लेकिन

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ब्रह्म गायत्री मन्त्र (Brahma Gayatri Mantra)

ब्रह्म गायत्री मन्त्र ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात् ।। ॐ नारायणा विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।। ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।। ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ।। ॐ वेदाङ्गनाथाय विद्महे हिरण्य गर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ।। ॐ अन्जनी जयाय विद्महे वायु पुत्राय धीमहि तन्नो

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अन्नदाता ने अर्जी (Annadaata Ne Arjee)

अन्नदाता ने अरजी और आसरो छोड़ आसरो लीनो आसरों कुंवर कल्लाजी को । हे राठौड़ कुल भूषण, थे दुःखड़ा कॉटो दुखिया को ॥ और आ. तरह-तरह रा रोगी आवे, मन में आस लियाथा कि । मन चाहा फल पाकर जावे, इच्छा पूरण हो वाकी ॥ और आ. देश हित आया तज-तोरण, राजपूती शान रखावण में । मण्डप छोड़ चालता रण

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श्री कल्लाजी का आह्वान (Kallaji’s Aahvaan)

श्री कल्लाजी का आह्वान माने दरशन दिजो जी के माने दरशन दिजो जी के ॥ कलजूग ₹ कल्याण रे कारण जनम लियो जगधाम गौ रक्षक गातरोड़ रे लारे नित रहवे मेहमान मारा रनेलिया सरदार, थाँतो जहर पियो हर बार थाणी किण विद् करूँ जुहार, माने दरशन दिजो जी के । मृत्यु लोक मेवाड़ में राखी अपनी आन मुगलाँरा छक्का छुड़वाया

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गातरोड़ जी से प्रार्थना ( कल्लाजी प्रार्थना ) (Prayer to Gatrod ji)

गातरोड़ जी से प्रार्थना चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया एक बात बताने आया हूँ एक कथा सुनाने आया चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया में मानव हूँ एक मूरख हूँ एक अज्ञानी हूँ खल कामी जो कुछ भी हूँ तेरे सन्मुख हूँ जिसे आज पकड़ कर लाया चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक

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कल्लाजी भजन (Kallaji Bhajan)

आवो म्हारे हिरदे कॅवरा बसो ए भवानी २ बसो ए भवानी कमधज बसो ए राठौड़ी किण विद थारी करू थापना किण विद थाने मानू राय लखन थारी करे अगवाणी । आवो म्हारे हिरदे २ कुण देव थारी करे थापना कुण देव थाने माने भक्त भरे रे जल जमना रो पाणी । आवो म्हारे हिरदे २ गातोड़ थारी करे थापना तेजो

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कल्लाजी हेलो (kallaji helo)

॥ जय माँ नागणेचा ॥       ॥ श्री ॥       ॥ जय श्री कल्ला बावजी ॥ जय श्री कल्याण कँवर जी कँवरा धूप के धुंआड़े बेगा आवजो जरणी जगदम्बा री जागे जागे रात आज रे सोना री सूरज उगीयो ॥ कँवरा जाजम डारी दे चन्दन चौक में, ऊंची छतरिया रा फड़के निशान || आज रे ॥ भोपा देवल

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भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे

भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे, हो रही जय जय कार मंदिर विच, आरती जय माँ, हे दरबारा वाली आरती जय माँ, है पहाड़ा वाली आरती जय माँ || काहे दी मैया तेरी आरती बनावा, काहे दी पावां विच बाती, मंदिर विच आरती जय माँ, तू हे चोलेयाँ वाली आरती जय माँ, हे माँ पहाड़ा वाली आरती जय माँ

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श्री सीता जी की आरती (Aarti of Shri Sita ji)

श्री सीता जी की आरती की धुन सुनकर, हमारी आत्मा में एक दिव्य शांति और आनंद की अनुभूति होती है। सीता माता, राम भक्ति की प्रतिक, हमें साहस, समर्पण और प्रेम की प्रेरणा देती हैं। उनके पवित्र चरणों की धूल में हम अपने मन को साधारण व्यवस्था से पार ले जाते हैं और उनके दिव्य संकल्पों का अनुसरण करने का

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रंग मत डाले रे सांवरिया म्हाने गुजर मारे रे

रंग मत डाले रे सांवरिया, म्हाने गुजर मारे रे, रंग मत डारे रे, रंग मत डाले रे सांवरिया, म्हाने गुजर मारे रे || सास बुरी छे म्हारी नणद हठीली, सास बुरी छे म्हारी नणद हठीली, बर्णयो बईमान बालम पीछे झगडे रे, रंग मत डारे रे, रंग मत डाले रे सांवरिया, म्हाने गुजर मारे रे || जुलम कर डारयो, सितम कर

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किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाये

किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाये जुबां पे राधा राधा राधा नाम हो जाये जब गिरते हुए मैंने तेरा नाम लिया है जब गिरते हुए मैंने तेरा नाम लिया है तो गिरने ना दिया तूने मुझे थाम लिया है किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाये जुबां पे राधा राधा राधा नाम हो जाये तुम अपने भक्तो पे कृपा करती हो

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अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो

देखो देखो ये गरीबी,ये गरीबी का हाल कृष्ण के दर पे विश्वास लेके आया हूँ मेरे बचपन का यार है.. मेरा श्याम, यही सोच कर मै आस कर के आया हूँ. अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो के दरपे सुदामा गरीब आ गया है भटकते भटकते ना जाने कहा से तुम्हारे महल के करीब आगया है ना सरपे है पगडी

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मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है

मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है पतवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है बिन मांगे हे कन्हैया हर चीज मिल रही है अब क्या बताऊ मोहन आराम हो रहा है मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है मेरी जिंदगी में तुम हो किस बात

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छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल

छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल बिच में मेरो मदन गोपाल छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल कारी कारी गैया गोरे गोरे ग्वाल श्याम बरन मेरो मदन गोपाल छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल घास खाए गैया दूध पिवे ग्वाल माखन खावे मेरो मदन गोपाल छोटी छोटी गैया छोटे

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घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो

घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो  घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो रिद्धि सिद्धि लेके आओ गणराजा मेरे घर में पधारो राम जी आना लक्ष्मण जी आना संग में लाना सीता मैया मेरे घर में पधारो घर में पधारो गजानन जी… ब्रम्हा जी आना विष्णु जी आना भोले शंकर जी को ले आना मेरे

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एकादशी आरती (Ekadashi Aarti)

॥ एकादशी माता की आरती ॥ ॐ जय एकादशी, जय एकादशी,जय एकादशी माता। विष्णु पूजा व्रत को धारण कर,शक्ति मुक्ति पाता॥ ॐ जय एकादशी…॥ तेरे नाम गिनाऊं देवी,भक्ति प्रदान करनी। गण गौरव की देनी माता,शास्त्रों में वरनी॥ ॐ जय एकादशी…॥ मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना,विश्वतारनी जन्मी। शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा,मुक्तिदाता बन आई॥ ॐ जय एकादशी…॥ पौष के कृष्णपक्ष की,सफला

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श्री भैरव आरती (Shri Bhairav ​​Aarti)

॥ श्री भैरव आरती ॥ सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ। कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ। मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥ सुनो जी भैरव लाड़िले॥ मैं हूँ मति का मन्द,मेरी कुछ मदद तो कीजिये। महिमा तुम्हारी बहुत,कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ॥ सुनो जी भैरव लाड़िले॥ करते सवारी स्वान की,चारों दिशा में राज्य है।

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Aarti (आरती )

शेषावतार कल्लाजी राठौड़ पच्चीसी (Sheshavtar Kallaji Rathod Pachisi)
श्री भैरव आरती (Shri Bhairav ​​Aarti)
भगवान नरसिंह की आरती (Aarti of Lord Narasimha)
श्री गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ki Aarti)
लक्ष्मण जी आरती | Lakshman Ji Aarti
भगवान् श्रीसत्यनारायणजी की आरती (Lord Shree Sathyanarayanji ki Aarti)
माँ सरस्वती आरती (Maa Saraswati Aarti)
माँ लक्ष्मीजी आरती (Shri Laxmi Mata Aarti)

Chalisa (चालीसा )

श्री संतोषी माता चालीसा (Shree Santoshi Mata Chalisa)
श्री तुलसी चालीसा (Shree Tulsi Chalisa)
श्री कल्ला चमत्कार चालीसा (Shri Kalla ji Chalisa)
श्री बजरंग बाण (Shri Bajrang Baan)
श्री वैष्णो चालीसा (Shri Vaishno Chalisa)
श्री काली चालीसा (Shree Kali Chalisa)
श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa)
श्री परशुराम चालीसा (Shree Parshuram Chalisa)

Mantra (मंत्र)

Samba Sadashiva
विष्णु मंत्र (Vishnu Mantras)
वक्रतुंड मंत्र ( Vakratunda Mantra)
ब्रह्म गायत्री मन्त्र (Brahma Gayatri Mantra)
श्री गायत्री मंत्र (Gyatri mata Mantra)
श्री बजरंग बाण (Shri Bajrang Baan)
Karpur Gauram
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)

Bhajan (भजन)

रंग मत डाले रे सांवरिया म्हाने गुजर मारे रे
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है
अन्नदाता ने अर्जी (Annadaata Ne Arjee)
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाये
छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल
कल्लाजी हेलो (kallaji helo)
गातरोड़ जी से प्रार्थना ( कल्लाजी प्रार्थना ) (Prayer to Gatrod ji)
घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो
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