गातरोड़ जी से प्रार्थना
चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया
एक बात बताने आया हूँ एक कथा सुनाने आया
चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया
में मानव हूँ एक मूरख हूँ एक अज्ञानी हूँ खल कामी
जो कुछ भी हूँ तेरे सन्मुख हूँ जिसे आज पकड़ कर लाया
चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया
एक बात बताने आया हूँ एक कथा सुनाने आया हूँ २
हम निर्बल है पाखण्डी हैं अरू पाप पुण्य का ज्ञान नहीं
हम शक्ति हीन है भक्तिहीन है फिर भी सन्मुख आया हूँ
| चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया
एक बात बताने आया हूँ एक कथा सुनाने आया २
ए गोवरधन गातरोड़ यहाँ करूणा करके करूणा कीजे
क्षत्रीय कुल के नेता तुम बलीहारी तुझ पर जाता हूँ
चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया
एक बात बताने आया हूँ एक कथा सुनाने आया
हे नाथ अनाथ के नाथ हो तुम अरू निर्बल के तुम रक्षक हो
दया भाव दिखला दे जरा तो भव सागर तर जाया
चौहान तुम्हारे दर पे म्हे एक बात बताने आया हूँ २
एक बात बताने आया हूँ एक कथा सुनाने आया
तुम कली काल के देव महा अरूदेवी के तुम भक्तन हो
यही फर्क है जरा बस यही जताने आया
चौहान तुम्हारे दर म्हे एक बात बताने आया
एक बात बताने आया हूँ एक कथा सुनाने आया