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Thu Apr 17, 2025

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Category: Aarti

करणी माता जी आरती | Karni Mata Ji Aarti

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी । भक्त जनन भय संकट, पल-छिन में हरणी ॥ ॐ जय अम्बे करणी… आदि शक्ति अविनासी, वेदन में वरणी । अगम अनन्त अगोचर, विश्वरूप धरणी ॥ ॐ जय अम्बे करणी… काली तूं

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कामाख्या देवी आरती | Kamakhya Devi Aarti

रती कामाख्या देवी की, जगत् उधारक सुर सेवी की ॥ आरती कामाख्या देवी की … गावत वेद पुरान कहानी, योनिरुप तुम हो महारानी ॥ सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी, लहे दरस सब सुख लेवी की ॥ आरती कामाख्या देवी की …

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सालासर बालाजी आरती | Salasar Balaji Aarti

जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला ॥ चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन खुशी मन में । प्रकट भए सुर वानर तन में, विदित यश विक्रम त्रिभुवन में । दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई

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श्री केदारनाथ आरती | Shree Kedarnath Aarti

जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दुःख हरम । गौरी गणपति स्कन्द नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम ॥ शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ मन्दिर सुन्दरम । निकट मन्दाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम ॥ उदक कुण्ड है अधम पावन, रेतस कुण्ड मनोहरम

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चित्रगुप्त आरती | Chitragupta Aarti

ॐ जय चित्रगुप्त हरे स्वामी जय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे… विघ्न विनाशक मंगलकर्ता सन्तन सुखदायी । भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवन यश छायी ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे… रूप चतुर्भुज, श्यामल

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लक्ष्मण जी आरती | Lakshman Ji Aarti

आरती लक्ष्मण बालजती की असुर संहारन प्राणपति की ॥ आरती लक्ष्मण बालजती की… जगमग ज्योति अवधपुर राजे शेषाचल पै आप विराजे ॥ आरती लक्ष्मण बालजती की… घंटा ताल पखावज बाजे कोटि देव मुनि आरती साजे ॥ किरीट मुकुट कर धनुष

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भगवद्‍ गीता आरती | Bhagavad Gita Aarti

जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते हरि-हिय-कमल-विहारिणि सुन्दर सुपुनीते ॥ जय भगवद् गीते कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि कामासक्तिहरा तत्त्वज्ञान-विकाशिनि विद्या ब्रह्म परा ॥ जय भगवद् गीते निश्चल-भक्ति-विधायिनि निर्मल मलहारी शरण-सहस्य-प्रदायिनि सब विधि सुखकारी ॥ जय भगवद् गीते राग-द्वेष-विदारिणि कारिणि मोद सदा भव-भय-हारिणि तारिणि

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करवा चौथ आरती

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया। जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया। सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी। यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।। ओम जय करवा मैया, माता जय

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श्री सीता जी की आरती (Aarti of Shri Sita ji)

श्री सीता जी की आरती की धुन सुनकर, हमारी आत्मा में एक दिव्य शांति और आनंद की अनुभूति होती है। सीता माता, राम भक्ति की प्रतिक, हमें साहस, समर्पण और प्रेम की प्रेरणा देती हैं। उनके पवित्र चरणों की धूल

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एकादशी आरती (Ekadashi Aarti)

॥ एकादशी माता की आरती ॥ ॐ जय एकादशी, जय एकादशी,जय एकादशी माता। विष्णु पूजा व्रत को धारण कर,शक्ति मुक्ति पाता॥ ॐ जय एकादशी…॥ तेरे नाम गिनाऊं देवी,भक्ति प्रदान करनी। गण गौरव की देनी माता,शास्त्रों में वरनी॥ ॐ जय एकादशी…॥

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श्री भैरव आरती (Shri Bhairav ​​Aarti)

॥ श्री भैरव आरती ॥ सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ। कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ। मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥ सुनो जी भैरव लाड़िले॥ मैं हूँ मति का मन्द,मेरी कुछ मदद तो कीजिये।

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श्री गिरिराज आरती (Shree Grahiraj Aarti)

॥ श्री गिरिराज आरती ॥ ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ,निज भक्तन की लाज॥ ॐ जय जय जय गिरिराज…॥ इन्द्रादिक सब सुर मिलतुम्हरौं ध्यान धरैं। रिषि मुनिजन यश गावें,ते भवसिन्धु तरैं॥ ॐ जय

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पुरुषोत्तम देव की आरती (Aarti of Purushottam Dev)

॥ श्री पुरुषोत्तम देव की आरती ॥ जय पुरुषोत्तम देवा,स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा। महिमा अमित तुम्हारी,सुर-मुनि करें सेवा॥ जय पुरुषोत्तम देवा॥ सब मासों में उत्तम,तुमको बतलाया। कृपा हुई जब हरि की,कृष्ण रूप पाया॥ जय पुरुषोत्तम देवा॥ पूजा तुमको जिसनेसर्व सुक्ख

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महादेव आरती (Mahadev aarti)

॥ श्री शिवशंकरजी की आरती ॥ हर हर हर महादेव! सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी। अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥ हर हर हर महादेव! आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी। अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥ हर हर हर महादेव! ब्रह्मा, विष्णु,

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आरती श्री कल्लाजी राठौड़ (Aarti of Shri Kallaji Rathore)

।। कला जी राठौड़ आरती ।। जय राठौड़ कला, स्वामी जय राठौड़ कला। विघ्न हरण कल्याणी, गौरी शंभू लला ।।जय।। क्षत्रिय पदम दिवाकर, करुणा निधि प्यारे । मेदपाट मणि भूषण, मरुधर उजियारे ।।जय।। अच्चल शस्त्र धनी पितु, श्वेत कुंवर माता

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शेषावतार कल्लाजी राठौड़ पच्चीसी (Sheshavtar Kallaji Rathod Pachisi)

।। जय श्री कल्याण ।। ।।।।।। हेला पच्चीसी।।।। कल्ला कीरत रावली , हेलो कोस हजार ! बांव पकड़ बैठा करो , अरवडिया आधार !! १ !! पावडिया पत्तो लड़े , जयमल महलां बीच ! राय आंगण कल्लो लड़े , केसर

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शनिवार आरती (Saturday Aarti)

शनिवार का दिन शनि देव की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। ॥ शनि देव की आरती ॥ जय शनि देवा, जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा। अखिल सृष्टि में कोटि-कोटिजन करें तुम्हारी सेवा। जय शनि देवा…॥

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शुक्रवार आरती (Friday aarti)

शुक्रवार का दिन माँ सन्तोषी की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। ॥ आरती श्री सन्तोषी माँ ॥ जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता। अपने सेवक जन को,सुख सम्पत्ति दाता॥ जय सन्तोषी माता॥ सुन्दर चीर सुनहरीमाँ धारण कीन्हों।

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गुरुवार आरती (Thursday Aarti)

गुरुवार बृहस्पति ग्रह को समर्पित है और गुरुवार को उपवास मुख्य रूप से बृहस्पति ग्रह को समर्पित है। ॥ बृहस्पतिवार की आरती ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा,जय बृहस्पति देवा। छिन छिन भोग लगाऊँ,कदली फल मेवा॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा॥ तुम

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बुधवार आरती (Wednesday Aarti)

बुधवार का दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। ॥ श्री कृष्ण की आरती ॥ आरती युगलकिशोर की कीजै।तन मन धन न्यौछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै,हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै। रवि शशि कोटि

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मंगलवार आरती (Tuesday Aarti)

मंगलवार का दिन भगवान हनुमानजी की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है ॥ आरती श्री हनुमानजी ॥ आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥ अंजनि पुत्र

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