सालासर बालाजी आरती | Salasar Balaji Aarti
जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला ॥ चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन खुशी मन में । प्रकट भए सुर वानर तन में, विदित यश विक्रम त्रिभुवन में । दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई
जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला ॥ चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन खुशी मन में । प्रकट भए सुर वानर तन में, विदित यश विक्रम त्रिभुवन में । दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई
जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दुःख हरम । गौरी गणपति स्कन्द नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम ॥ शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ मन्दिर सुन्दरम । निकट मन्दाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम ॥ उदक कुण्ड है अधम पावन, रेतस कुण्ड मनोहरम
ॐ जय चित्रगुप्त हरे स्वामी जय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे… विघ्न विनाशक मंगलकर्ता सन्तन सुखदायी । भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवन यश छायी ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे… रूप चतुर्भुज, श्यामल
आरती लक्ष्मण बालजती की असुर संहारन प्राणपति की ॥ आरती लक्ष्मण बालजती की… जगमग ज्योति अवधपुर राजे शेषाचल पै आप विराजे ॥ आरती लक्ष्मण बालजती की… घंटा ताल पखावज बाजे कोटि देव मुनि आरती साजे ॥ किरीट मुकुट कर धनुष
॥ श्री भैरव आरती ॥ सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ। कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ। मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥ सुनो जी भैरव लाड़िले॥ मैं हूँ मति का मन्द,मेरी कुछ मदद तो कीजिये।
॥ श्री गिरिराज आरती ॥ ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ,निज भक्तन की लाज॥ ॐ जय जय जय गिरिराज…॥ इन्द्रादिक सब सुर मिलतुम्हरौं ध्यान धरैं। रिषि मुनिजन यश गावें,ते भवसिन्धु तरैं॥ ॐ जय
॥ श्री पुरुषोत्तम देव की आरती ॥ जय पुरुषोत्तम देवा,स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा। महिमा अमित तुम्हारी,सुर-मुनि करें सेवा॥ जय पुरुषोत्तम देवा॥ सब मासों में उत्तम,तुमको बतलाया। कृपा हुई जब हरि की,कृष्ण रूप पाया॥ जय पुरुषोत्तम देवा॥ पूजा तुमको जिसनेसर्व सुक्ख
॥ श्री शिवशंकरजी की आरती ॥ हर हर हर महादेव! सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी। अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥ हर हर हर महादेव! आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी। अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥ हर हर हर महादेव! ब्रह्मा, विष्णु,
।। कला जी राठौड़ आरती ।। जय राठौड़ कला, स्वामी जय राठौड़ कला। विघ्न हरण कल्याणी, गौरी शंभू लला ।।जय।। क्षत्रिय पदम दिवाकर, करुणा निधि प्यारे । मेदपाट मणि भूषण, मरुधर उजियारे ।।जय।। अच्चल शस्त्र धनी पितु, श्वेत कुंवर माता
॥ आरती श्री जाहरवीर जी की ॥ जय जय जाहरवीर हरे,जय जय गूगा वीर हरे धरती पर आ करकेभक्तों के दुख दूर करे॥ जय जय जाहरवीर हरे॥ जो कोई भक्ति करे प्रेम सेहाँ जी करे प्रेम से भागे दुख परे
॥ गोरख आरती ॥ जय गोरख देवाजय गोरख देवा। कर कृपा मम ऊपरनित्य करूं सेवा ॥ शीश जटा अतिसुन्दर भाल चन्द्र सोहे। कानन कुण्डल झलकतनिरखत मन मोहे॥ गल सेली विच नाग सुशोभिततन भस्मी धारी। आदि पुरुषयोगीश्वर सन्तन हितकारी॥ नाथ निरंजन
॥ श्री साईं बाबा आरती ॥ आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की । जा की कृपा विपुल सुखकारी,दु:ख शोक, संकट, भयहारी ॥ आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की । शिरडी में अवतार रचाया,चमत्कार से तत्व
॥ श्री रामदेव आरती ॥ ॐ जय श्री रामादेस्वामी जय श्री रामादे। पिता तुम्हारे अजमलमैया मेनादे॥ ॐ जय श्री रामादे स्वामी जय श्री रामादे॥ रूप मनोहर जिसकाघोड़े असवारी। कर में सोहे भालामुक्तामणि धारी॥ ॐ जय श्री रामादे स्वामी जय श्री
॥ श्री विश्वकर्मा आरती ॥ प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवोप्रभु विश्वकर्मा। सुदामा की विनय सुनीऔर कंचन महल बनाये। सकल पदारथ देकर प्रभु जीदुखियों के दुख टारे॥ प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥ विनय करी भगवान कृष्ण नेद्वारिकापुरी बनाओ। ग्वाल बालों की
॥ आरती श्री गोवर्धन महाराज की ॥ श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार। तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तेरी सात कोस की परिकम्मा,चकलेश्वर है विश्राम। तेरे माथे
॥ श्री नरसिंह भगवान की आरती ॥ ॐ जय नरसिंह हरे,प्रभु जय नरसिंह हरे। स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे,जन का ताप हरे॥ ॐ जय नरसिंह हरे॥ तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी,प्रभु भक्तन हितकारी। अद्भुत रूप बनाकर,
॥ शनिदेव की आरती ॥ जय जय श्री शनिदेवभक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभुछाया महतारी॥ जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥ श्याम अंग वक्र-दृष्टिचतुर्भुजा धारी। निलाम्बर धार नाथगज की असवारी॥ जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥ क्रीट मुकुट शीश सहजदिपत
॥ आरती श्री सूर्य जी ॥ जय कश्यप-नन्दन,ॐ जय अदिति नन्दन। त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,भक्त-हृदय-चन्दन॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सप्त-अश्वरथ राजित,एक चक्रधारी। दु:खहारी, सुखकारी,मानस-मल-हारी॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,विमल
॥ आरती श्री सत्यनारायणजी ॥ जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥ जय लक्ष्मीरमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥ जय लक्ष्मीरमणा। प्रगट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो। बूढ़ो ब्राह्मण बनकर
॥ आरती श्री जगदीशजी ॥ ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख
॥ श्री रामायणजी की आरती ॥ आरती श्री रामायण जी की।कीरति कलित ललित सिया-पी की॥ गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद।बालमीक विज्ञान विशारद। शुक सनकादि शेष अरु शारद।बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥ आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥ गावत