आरती संध्या

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शेषावतार कल्लाजी राठौड़ पच्चीसी (Sheshavtar Kallaji Rathod Pachisi)

।। जय श्री कल्याण ।।

।।।।।। हेला पच्चीसी।।।।

कल्ला कीरत रावली , हेलो कोस हजार !
बांव पकड़ बैठा करो , अरवडिया आधार !! १ !!
पावडिया पत्तो लड़े , जयमल महलां बीच !
राय आंगण कल्लो लड़े , केसर हंदा कीच !! २ !!
कल्लो लड़े कबाण सूं , माथे जस रो मोड़ !
धरती बीच प्रगटिया, राज कुली राठौड़ !! ३ !!
प्याला केसर पीवणा , साँझ पड्यां सुबियाणा !
मुआ उगावे मानवी , काठा रंग कल्याण !! ४ !!
कल्लो चत्रगढ़ कांगरे, रहियो कमधज राय !
जाती जमी सिसोदिया , कमी न राखी काय !! ५ !!
कल्लो कला सूं कड्डीयो, लांखा हड धर लेर !
तीन पहर लग आसटी, शीश पडयो शमशेर !! ६ !!
पाधर यवानां पाडिया , ढाला सांकर डाण !
कलो हला पर कोपियो , रड दला रणराण!! ७ !!
गेमर डेणा गाईयाँ , खग झाटा खुरशाण !
कलो हला पर कोपियो , रड दला रणराण !! ८ !!
तोड़ हला अकबर तणां,तैग झला ता ठौड़ !
भला करण दल भांजणा , रंग कला राठौड़ !! ९ !!
पांव धरे इक पौवड़ो, हेलो कोस हजार !
तो वेला आवे कलो, दुनियां रो दातार !! १० !!
कले गडायो गारमो , दीज्यो रिझवन हाथ !
पहला पांव कल्याण ने , पछे संग रो साथ !! ११ !!
नव कुल नाग रनेलियो, नव खंड किधो नाम !
चत्रगढ़ भंगी जे निदा , कमधज आयो काम !! १२ !!
संवत सोल चौविसवा , हलत तोप हिंदवाण !
जयमलजी ने पुठ ले चक्कर तेज चलाण !! १३ !!
भावज हदा बोलणा , छप्पन दिनों छोड़ !
गढ़ रुड़ेला प्रकटीयो ,चडियो गढ़ चितौड !! १४ !!
पाडनपोल पाडो बहयो जबर हिलोलो जाण
राणा बिडों बाटीयो , कुण झेले हिदबाण !! १५ !!
कमधज मारू यूँ कहे , हूँ झेलूं हिदबाण !
छप्पन धरा रो राजवी , असलां रो कुल भांण !! १६ !!
घोडा पाखर घुगरा भरहर भालो हाथ !
काछी आवे कूदता , कल्ला मारू साथ !! १७ !!
अकबर कहे नवाब ने , भिडियों कुण कबाण !
बीरबल भाग्यो बादशाह , कला हला करपाण !! १८ !!
जिण दिन कल्लो जनमियो , जग में किधो नाम !
नव गज धरती दल चढ़े , धन -धन कल्ला काम !! १९ !!
अण बियाणी बांगडी , जाचक दूध थपोड़ !
सह देवां मा देखिया , कला न थारी होड़ !! २० !!
कल्ला किरत रावली , हेलो कोस हजार !
दुखिया ने सुखिया करो , पधारो राज कुमार !! २१ !!
कलो कडारे प्रकटीयो , जग ने दीधो जोत !
जठे दु:खी नर सब सुखी , टले अखारी मौत !! २२ !!
औखद- बाखद आखडी , करूँ न दूजे दौड़ !
मिटे पीड कल्याण सूं , राज कुली राठौड़ !! २३ !!
रुडो गाम रनेलियो , बहु रय्यामणु खेम !
मन हरखे मारू जटे, कलो बिचारे केम !! २४ !!
कलो कला सूं कड्डीयों , तोड़ तोड़ ता ठोड !

दुःख मिटावण जगत रो , कुल तारयो राठौड़ !! २५ !!
!! इति !!

।।रनेलिया रा शेषावतार कल्लाजी राठौड़ की जय ।।

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