एक समय की बात है, एक ब्राह्मण और उनकी पत्नी थीं। उनके पास एक पुत्र था जिनका नाम था। वह छोटा सा बच्चा गणेश जी का बड़ा भक्त था। वह दिन-रात गणेश जी की सेवा में लगा रहता था, और घर के कामों में कभी भी ध्यान नहीं देता था। इससे उनकी पत्नी बहुत चिंतित हो जाती थी। वह अकेले ही घर का सारा काम करती थी और यह बात उसे बहुत दुखी करती थी।
ब्राह्मणी बहुत दिनों तक अपने पति को समझाने की कोशिश करती रही, परंतु उसके पति का मन बदलने का नाम नहीं लेता था। घर में रोज़ झगड़ा होता था, और उनका बेटा उनकी बातों का कभी ध्यान नहीं देता था।
एक दिन, बेटा बहुत दुखी हो गया और उसने तय किया कि वह गणेश जी से मिलकर ही वापस आएगा। उसने मन में ठान ली कि आज वह गणेश जी के पास जाकर ही घर लौटेगा। वह जोर-जोर से “जय गणेश जय गणेश” बोलते बोलते बहुत दूर एक घने जंगल में चला गया।
लड़के को डर भी लगने लगा, लेकिन वह निरंतर “जय गणेश जय गणेश” बोलता रहा। तभी गणेश जी का सिंहासन झूलने लगा और रिद्धि-सिद्धि बोली, “महाराज, तुम्हारे प्रेम भक्त ने तुम्हारी पुकार सुन ली है। अब तुम्हें उसकी रक्षा करनी चाहिए।”
गणेश जी ने फिर अपने सामान्य रूप में आकर ब्राह्मण के पास आए और बोले, “लड़के, क्यों रो रहे हो?”
लड़का ने बताया, “मुझे गणेश जी से मिलने का बहुत मन था, लेकिन मैं डर गया हूँ।”
गणेश जी ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारा डर कैसे दूर हो सकता है? मैं यहां हूँ।”
लड़के ने फिर डर के साथ “जय गणेशजी” बोलना शुरू किया। तब गणेश जी का सिंहासन हिलने लगा और रिद्धि-सिद्धि बोली, “महाराज, यह बच्चा सच्चा भक्त है, आपको उसकी रक्षा करनी चाहिए।”
फिर गणेश जी ब्राह्मण वेश में लड़के के पास आए और बोले, “लड़के, घर चला जा।”
लड़का बहुत खुश हो गया और घर लौट आया। जब उसने घर की ओर देखा, तो उसे चौंकने की बजाय अच्छूत दरबार दिखाई दिया। बाहर घोड़ा खड़ा था, और अंदर दुल्हन बैठी थी।
लड़के की मां बोली, “तेरे भगवान गणेशजी ने हमारे प्रति बहुत कृपा की है। आज से हम सब गणेश जी की पूजा करेंगे।”
सब बहुत खुश हुए और ब्राह्मण का बेटा भगवान गणेश की पूजा करने लगा। गणेश जी को खुश देखकर उन्होंने कहा, “तुम मुझसे कुछ भी मांगो, मैं तुम्हें सब कुछ दूंगा।”
लड़का ने सोचा और फिर बोला, “मुझे तुम्हारा आशीर्वाद और भक्ति चाहिए, कुछ नहीं अधिक।”
गणेश जी बहुत प्रसन्न हुए और उसका आशीर्वाद दिया। इसके बाद, उनका घर में सुख-शांति बरसने लगी और उनके बेटे को सब धन-धान्य से लाभ हुआ।