।। कला जी राठौड़ आरती ।।
जय राठौड़ कला, स्वामी जय राठौड़ कला।
विघ्न हरण कल्याणी, गौरी शंभू लला ।।जय।।
क्षत्रिय पदम दिवाकर, करुणा निधि प्यारे ।
मेदपाट मणि भूषण, मरुधर उजियारे ।।जय।।
अच्चल शस्त्र धनी पितु, श्वेत कुंवर माता ।
ईष्ट अम्ब प्रतिपालक, गुरु भैरव ज्ञाता ।।जय।।
कर आयुध शिशु काले, रण सम्पन्न भयो ।
देश हिते तज तोरण, अरि पे कूच कियो ।।जय।।
कृष्णा मांग अपूरण, तुम पर बलिहारी ।
जीवन सर्व समर्पण, कीन्हा रह क्वांरी ।।जय।।
तो लख विक्रम भुजबल, राणा सनमान्यो ।
लाखो शत्रु संहारे, अकबर अकुलानो ।।जय।।
जयमल भुजा उठायो, पंगु जबै पायो ।
अनुपम रूप चतुर्भुज शत्रुन पे छायो ।।जय।।
काट्यो शीश चढ़ायो, जगदम्बा चरणे ।
कमधज होय लड़्यो धड़, का विधि यश वरणे ।।जय।।
तृषित कम्धज जबे तब, हे भारत प्रहरी ।
द्रवि हों हृदय शमी तरु, झरझर नीर झरी ।।जय।।
दी तन चौबीस आहुति, कृष्णा तोय चिता ।
धन्य सती माँ जिनका, त्याग अकथ अमिता ।।जय।।
करे आरती तिहरी, फैलायें पल्ला ।
रक्षा करो अपनाओ, कृपा सिन्धु कल्ला ।।जय।।
जय हो जय भय हारी, पवन रूप शेषा ।
आओ हृदय बिराजो, मेटो मम् क्लेषा ।।जय।।
सिद्ध जपे बहु साधक, सुर नर मुनि ध्यावे ।
‘शील’ जोय शरणागत, सुख संपत्ति पावे ।।जय।।
विघ्न हरण कल्याणी, गौरी शंभू लला ।।जय।।