Search
Search

Fri May 9, 2025

18:54:43

Search

Fri May 9, 2025

18:54:43

Category: Aarti

गंगाजी की आरती (Gangaji’s Aarti)

॥ आरती श्री गंगाजी ॥ ॐ जय गंगे माता,मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता,मनवांछित फल पाता॥ ॐ जय गंगे माता॥ चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,जल निर्मल आता। शरण पड़े जो तेरी,सो नर तर जाता॥ ॐ जय गंगे माता॥ पुत्र सगर

पूरा पढ़ें »

वैष्णोदेवी जी की आरती (Aarti of Vaishno Devi)

॥ आरती श्री वैष्णो देवी ॥ जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता। हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥ शीश पे छत्र विराजे,मूरतिया प्यारी। गंगा बहती चरनन,ज्योति जगे न्यारी॥ ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे,शंकर ध्यान धरे। सेवक चंवर डुलावत,नारद नृत्य करे॥

पूरा पढ़ें »

माँ सरस्वती आरती (Maa Saraswati Aarti)

॥ आरती श्री सरस्वती जी ॥ जय सरस्वती माता,मैया जय सरस्वती माता। सदगुण वैभव शालिनी,त्रिभुवन विख्याता॥ जय सरस्वती माता॥ चन्द्रवदनि पद्मासिनि,द्युति मंगलकारी। सोहे शुभ हंस सवारी,अतुल तेजधारी॥ जय सरस्वती माता॥ बाएं कर में वीणा,दाएं कर माला। शीश मुकुट मणि सोहे,गल

पूरा पढ़ें »

अम्बे माता आरती (Ambe Mata Aarti)

॥ आरती श्री अम्बा जी ॥ जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥ जय अम्बे गौरी माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को। उज्जवल से दो‌उ नैना,चन्द्रवदन नीको॥ जय अम्बे गौरी कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन

पूरा पढ़ें »

श्री रामदेव आरती (Shri Ramdev Aarti)

॥ श्री रामदेव आरती ॥ ॐ जय श्री रामादेस्वामी जय श्री रामादे। पिता तुम्हारे अजमलमैया मेनादे॥ ॐ जय श्री रामादे स्वामी जय श्री रामादे॥ रूप मनोहर जिसकाघोड़े असवारी। कर में सोहे भालामुक्तामणि धारी॥ ॐ जय श्री रामादे स्वामी जय श्री

पूरा पढ़ें »

श्री विश्वकर्मा आरती (Shri Vishwakarma Aarti)

॥ श्री विश्वकर्मा आरती ॥ प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवोप्रभु विश्वकर्मा। सुदामा की विनय सुनीऔर कंचन महल बनाये। सकल पदारथ देकर प्रभु जीदुखियों के दुख टारे॥ प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥ विनय करी भगवान कृष्ण नेद्वारिकापुरी बनाओ। ग्वाल बालों की

पूरा पढ़ें »

सन्तोषी माता की आरती (Santoshi Mata Ki Aarti)

॥ आरती श्री सन्तोषी माँ ॥ जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता। अपने सेवक जन को,सुख सम्पत्ति दाता॥ जय सन्तोषी माता॥ सुन्दर चीर सुनहरीमाँ धारण कीन्हों। हीरा पन्ना दमके,तन श्रृंगार कीन्हों॥ जय सन्तोषी माता॥ गेरू लाल छटा छवि,बदन कमल सोहे।

पूरा पढ़ें »

श्री गोवर्धन आरती (Shree Govardhan Aarti)

॥ आरती श्री गोवर्धन महाराज की ॥ श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार। तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तेरी सात कोस की परिकम्मा,चकलेश्वर है विश्राम। तेरे माथे

पूरा पढ़ें »

भगवान नरसिंह की आरती (Aarti of Lord Narasimha)

॥ श्री नरसिंह भगवान की आरती ॥ ॐ जय नरसिंह हरे,प्रभु जय नरसिंह हरे। स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे,जन का ताप हरे॥ ॐ जय नरसिंह हरे॥ तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी,प्रभु भक्तन हितकारी। अद्भुत रूप बनाकर,

पूरा पढ़ें »

श्री शनिदेव की आरती (Aarti of Shri Shanidev)

॥ शनिदेव की आरती ॥ जय जय श्री शनिदेवभक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभुछाया महतारी॥ जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥ श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टिचतुर्भुजा धारी। निलाम्बर धार नाथगज की असवारी॥ जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥ क्रीट मुकुट शीश सहजदिपत

पूरा पढ़ें »

श्री सूर्यदेव आरती (Shree Suryadev Aarti)

॥ आरती श्री सूर्य जी ॥ जय कश्यप-नन्दन,ॐ जय अदिति नन्दन। त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,भक्त-हृदय-चन्दन॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सप्त-अश्वरथ राजित,एक चक्रधारी। दु:खहारी, सुखकारी,मानस-मल-हारी॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,विमल

पूरा पढ़ें »

श्री सत्यनारायणजी की आरती (Aarti of Shri Satyanarayanji)

॥ आरती श्री सत्यनारायणजी ॥ जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥ जय लक्ष्मीरमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥ जय लक्ष्मीरमणा। प्रगट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो। बूढ़ो ब्राह्मण बनकर

पूरा पढ़ें »

श्री जगदीशजी की आरती (Shri Jagdishji’s Aarti)

॥ आरती श्री जगदीशजी ॥ ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख

पूरा पढ़ें »

आरती श्री रामायणजी की (Aarti of Shri Ramayanaji)

॥ श्री रामायणजी की आरती ॥ आरती श्री रामायण जी की।कीरति कलित ललित सिया-पी की॥ गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद।बालमीक विज्ञान विशारद। शुक सनकादि शेष अरु शारद।बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥ आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥ गावत

पूरा पढ़ें »

श्री रामचन्द्र आरती (Shri Ramchandra Aarti)

॥ आरती श्री रामचन्द्रजी ॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्। नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्। पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥ श्री

पूरा पढ़ें »

गणपति की सेवा आरती (Ganpati Seva Aarti)

॥ आरती श्री गणपति जी ॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता,द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥ रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें,अरु आनन्द सों चमर करैं। धूप-दीप अरू लिए

पूरा पढ़ें »

आरती गजबदन विनायक की (Aarti of Gajabadan Vinayak)

॥ आरती गजबदन विनायक की ॥ आरती गजबदन विनायक की।सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥ आरती गजबदन विनायक की।सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥ आरती गजबदन विनायक की॥ एकदन्त शशिभाल गजानन,विघ्नविनाशक शुभगुण कानन। शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन,दुःखविनाशक सुखदायक की॥ आरती गजबदन विनायक की॥ ऋद्धि-सिद्धि-स्वामी समर्थ अति,विमल बुद्धि दाता

पूरा पढ़ें »

श्री बालाजी आरती (Shri Balaji Ki Aarti)

!! ॐ जय हनुमत वीरा !! ॐ जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा । संकट मोचन स्वामी, तुम हो रनधीरा ॥ ॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥ पवन पुत्र अंजनी सूत, महिमा अति भारी । दुःख दरिद्र मिटाओ, संकट सब

पूरा पढ़ें »

अम्बे तू है जगदम्बे काली: माँ दुर्गा, माँ काली आरती ( Maa Durga Maa Kali Aarti )

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली । तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥ तेरे भक्त जनो पर, भीर पडी है भारी माँ । दानव दल पर टूट पडो, माँ करके

पूरा पढ़ें »

भगवान् श्रीसत्यनारायणजी की आरती (Lord Shree Sathyanarayanji ki Aarti)

जय लक्ष्मीरमणा, श्री लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी जन-पातक-हरणा।।जय.।।टेक।। रत्नजटित सिंहासन अद्भुत छबि राजै। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै।।जय.।। प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दरस दियो। बूढ़े ब्राह्मण बनकर कंचन-महल कियो।।जय.।। दुर्बल भील कठारो, जिनपर कृपा करी। चन्द्रचूड़ एक राजा,

पूरा पढ़ें »

शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti)

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुराननपञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥

पूरा पढ़ें »

Category

हिंदू कैलेंडर

Aarti (आरती )

Chalisa (चालीसा )

Mantra (मंत्र)

Bhajan (भजन)

Scroll to Top
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.