गणगोर बिंदायक जी की कहानी Gangaur Bindayak Ki Kahani ( Chetra Mahina चैत्र महीना )

भगवान विष्णु माता लक्ष्मी जी से विवाह के लिए जाने लगे तब सारे देवी देवताओं को बारात में जाने के लिए बुलाया गया। जब सभी देवता गण जाने लगे तो उन्होंने बोला कि गणेश जी को तो नहीं लेकर जाएंगे क्योंकि गणेश जी बहुत ज्यादा खाते हैं और दुन्द दुन्दालो, सुन्ड सुन्डालो, उखला सा पांव, छाजला सा कान, मस्तक मोटो-लाजे, भीम कुमारी व मोटे मस्तक वाले हैं। इनको ले जाकर क्या करेंगे इसलिए गणेश जी को तो यहीं पर घर की रखवाली के लिए छोड़कर जाएंगे। ऐसा कह कर गणेश जी को छोड़कर सभी बरात में चले गए।

वहां पर नारद जी आकर गणेश जी को कहने लगे कि हे बिंनायक जी आपका तो बहुत अपमान कर दिया। आपके जाने से बारात बुरी लगती इस कारण आपको यहीं पर छोड़ कर चले गए। तब विनायक जी ने अपने वाहन मूषक को आज्ञा दी कि संपूर्ण पृथ्वी को खोदकर खोखली कर दो। आज्ञा पाकर मूषक ने खोदकर पूरी धरती को खोखला कर दिया। खोखली होने से भगवान विष्णु के रथ का पहिया धरती में धंस गया। तब हर कोई रथ के पहिए को निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन रथ का पहिया नहीं निकला।

रथ का पहिया निकालने के लिए खाती को बुलाया गया खाती ने वहां आकर सारा दृश्य देखा। उसके बाद रथ के पहिए को हाथ लगा कर कहां जय गजानंद गणेश जी महाराज की जय । इतना कहते ही रथ का पहिया निकल गया। सब आश्चर्यचकित होकर सोचने लगे कि तुमने गणेश जी का नाम क्यों लिया तो खाती ने बोला कि जब तक गजानंद गणेश जी महाराज का नाम नहीं लिया जाता तब तक कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है। जब भी गणेश जी को सच्चे मन से सुमिरन करता है और याद करता है उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।

तब सब ने सोचा कि हम तो गणेश जी को लेकर ही नहीं आए। सबको अपनी गलती का एहसास हुआ और एक जने को भेजकर गणेश जी को बुलाया गया और माफी मांगी गई। पहले गणेश जी का विवाह रिद्धि सिद्धि से करवाया गया और फिर विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्मी जी से हुआ। उसके बाद सभी देवताओं में प्रसन्नता और हर्षोल्लास छा गया।

हे बिंदायक जी महाराज जैसा भगवान का कार्य सिद्ध किया वैसा सबका करना। बिंदायक जी की कहानी कहने वाले का, बिंदायक जी कहानी सुनने वाले का, हुंकार भरने वाले का और सभी का कार्य सिद्ध करना।

बोलो बिंदायक जी महाराज की जय।

Bhagwan Vishnu ne Maa Lakshmi se shaadi karne ka iraada kiya, isliye ek bada shaandar wedding procession taiyar kiya gaya, jismein sab devi-devta bhaag lene ke liye bulaye gaye the. Jab sab taiyar ho rahe the shaadi mein shaamil hone ke liye, toh unhone discuss kiya ki Lord Ganesha ko bulaya jaaye ya nahi.

Kuch devi-devta the jo Lord Ganesha ko bulane mein sankoch kar rahe the, kyunki unhe lagta tha ki woh bahut zyada khaate hain aur unka pet bada hai, bade kaan hain, aur gol chehra hai. Unhe chinta thi ki woh shaadi mein saara khaana khaa jayenge, isliye unhone faisla kiya ki unhe nahi bulaya jayega aur bina unke bulaye hi chale gaye.

Tab Narada Rishi ne is baare mein jaankari paayi aur Lord Ganesha ko is situation ke baare mein bataane gaye. Lord Ganesha ko devon ke faisla par dukh hua aur unhone apne haath mein lena tay kiya. Unhone apni mushak vahan ko aadesh diya ki ek khadda khodein aur poora prithvi ko khaali kar dein.

Iska parinaam swaroop, Lord Vishnu ke rath ke pahiye neeche phas gaya aur sab devi-devta usse nikaalne mein asamarth rahe. Woh apni poori koshish ki rath ke pahiye ko uthane ki, lekin woh hila nahi.

Ant mein, unhone ek buddhiman rishi ko bulaya jinhone unhe Lord Ganesha ke naam ka jaap karne ki salah di. Jab woh yeh kiya, toh rath ka pahiya aasani se prithvi se baahar aa gaya. Unhe apni galti ka ehsaas hua aur woh Lord Ganesha ko sachche mann se maafi maang kar shaadi mein shaamil hone ke liye bulaye gaye.

Lord Ganesha ne unhe maaf kar diya aur shaadi mein shaamil hue. Sabse pehle, unhone apni shaadi Goddess Riddhi ke saath puri ki, aur phir Lord Vishnu ne Goddess Lakshmi se shaadi ki. Sab khush the, aur unhe yeh samajh aaya ki kisi bhi mahatvapurna ghatna se pehle Lord Ganesha ki ashirwad maangna kitna mahatvapurna hai.

Toh, kahani ka moral yeh hai ki bhakti aur imaandaari se Lord Ganesha ke naam ka jaap karke kisi bhi mushkil ko door kiya ja sakta hai aur kisi bhi uddeshya ko safalta dilaya ja sakta hai.

“Bolo Bindayak Ji Maharaj Ki Jai!”

Aarti (आरती )

श्री गोरखनाथ आरती (Shree Gorakhnath Aarti)
श्री सत्यनारायणजी की आरती (Aarti of Shri Satyanarayanji)
श्री केदारनाथ आरती | Shree Kedarnath Aarti
पार्वती माता की आरती (Parvati Mata Aarti)
शुक्रवार आरती (Friday aarti)
रविवार आरती (Sunday Aarti)
कालरात्रि माता आरती (Kalaratri Mata Aarti)
पुरुषोत्तम देव की आरती (Aarti of Purushottam Dev)

Chalisa (चालीसा )

श्री संतोषी माता चालीसा (Shree Santoshi Mata Chalisa)
नागणेची माता चालीसा | Nagnechi Mata Chalisa
श्री राधा चालीसा (Shri Radha Chalisa)
श्री दुर्गा चालीसा ( Shri Durga Chalisa )
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा (Shree Vindhyeshwari Chalisa)
श्री पितर चालीसा (Shree Pitar Chalisa)
श्री राणी सती चालीसा (Shree Rani Sati Chalisa)
श्री जाहरवीर चालीसा (Shree Jaharveer Chalisa)

Mantra (मंत्र)

शिव मंत्र (Shiva Mantras)
ब्रह्म गायत्री मन्त्र (Brahma Gayatri Mantra)
कल्लाजी राठौड़ मंत्र (Kallaji Rathod Mantra)
Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Shloka
विष्णु मंत्र (Vishnu Mantras)
हनुमान मंत्र (Hanuman Mantras)
श्री महालक्ष्मी अष्टक ( Shri Mahalakshmi Ashtakam )
राम मंत्र (Rama Mantras)

Bhajan (भजन)

किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाये
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल
रंग मत डाले रे सांवरिया म्हाने गुजर मारे रे
कल्लाजी हेलो (kallaji helo)
कल्लाजी भजन (Kallaji Bhajan)
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है
भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे
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