श्री कल्लाजी का आह्वान
माने दरशन दिजो जी के माने दरशन दिजो जी के ॥
कलजूग ₹ कल्याण रे कारण जनम लियो जगधाम
गौ रक्षक गातरोड़ रे लारे नित रहवे मेहमान
मारा रनेलिया सरदार, थाँतो जहर पियो हर बार
थाणी किण विद् करूँ जुहार, माने दरशन दिजो जी के ।
मृत्यु लोक मेवाड़ में राखी अपनी आन
मुगलाँरा छक्का छुड़वाया रण में लड्यो बे भान
मारा राठौड़ी सरदार थारी नित नित करूं पुकार
यूँ तो अलबैलो रणधीर माने दरशन दिजो जी के ।
शेष नाग रा लोक में शेष लियो अवतार
लक्ष्मण रो भाई बन बैठयो कमधजियो सरदार
मारो कमधजियो सरदार थाने विजवु बारम्बार
थारे जगदम्बा रो आधार माने दरशण दिजो जी के ॥
भूत पलित को दूर भगायो हनुमंत रो अवतार
निम्बाड़ा के गांव में प्रगटियो मूंदड़ाजी रे द्वार
कमधज थारो ही आधार, मॉणो करजे बेड़ा पार
माँणो हो जावे उद्धार, माने दरशन दिजो जी के ॥
थारी महिमा सुण-सुण ने, दूर सूँ आयो आज
किण विद थारी करू प्रार्थना -कुण सुणे आवाज
थारी लक्ष्मण करे पुकार, आवो रण बंका सरदार
माणें थारो ही आधार, माने दरशन दिजो जी के ॥
नित नित थारों हेलो गाउ, नित नित करूँ पुकार
क्यूँ थाँ मासूँ मेरा पडग्या माँने आवे घणो विचार
थाने मामाजी नी कार, थाने काकाजी नी कार
थाने मात पिता नी कार, माने दरशन दिजो जी के ॥