Search
Search

Sat Mar 15, 2025

07:10:52

Search

Sat Mar 15, 2025

07:10:52

होलिका दहन व्रत कथा | Holika Dahan Katha

होली का पर्व रंगों और खुशियों का त्योहार है, लेकिन इसके पीछे धार्मिक और पौराणिक महत्व भी जुड़ा हुआ है। होली से एक दिन पहले ‘होलिका दहन’ किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं होलिका माता का व्रत रखती हैं और घर-परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं।

 

🙏 होलिका दहन की पौराणिक कथा 🙏
बहुत समय पहले की बात है, दैत्यों का राजा हिरण्यकश्यप अत्यंत शक्तिशाली और अहंकारी था। उसने कठोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर लिया कि उसे कोई देवता, मनुष्य, पशु या अस्त्र-शस्त्र नहीं मार सकता। इस वरदान के कारण वह स्वयं को अमर समझने लगा और अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया। वह चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद बचपन से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था।

प्रह्लाद की भक्ति देखकर हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसने अपने सेवकों को आदेश दिया कि वे प्रह्लाद को विष दे दें, ऊँचाई से गिरा दें, और हाथी के पैरों तले कुचल दें, परंतु हर बार भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया। राजा की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती। तब हिरण्यकश्यप ने एक षड्यंत्र रचा और होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, जिससे प्रह्लाद जल जाए और होलिका सुरक्षित रहे।

निर्धारित दिन पर होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका का चमत्कारी वस्त्र उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गया और वह सुरक्षित रहा, जबकि होलिका जलकर भस्म हो गई। इस प्रकार बुराई का नाश हुआ और सत्य की विजय हुई।

इस घटना की याद में होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि अत्याचार और अहंकार का अंत निश्चित है, जबकि भक्ति और सच्चाई की सदा जीत होती है। इसी कारण महिलाएं इस दिन सुख-समृद्धि और परिवार की रक्षा के लिए व्रत रखती हैं और होलिका माता की पूजा करती हैं।

होलिका दहन के बाद लोग उसकी भस्म को माथे पर तिलक के रूप में लगाते हैं, जिसे शुभ माना जाता है। अगले दिन रंगों के त्योहार होली का आनंद लिया जाता है, जो प्रेम, सौहार्द और भक्ति का प्रतीक है।

 

🙏 होलिका दहन की पूजा विधि और व्रत नियम 🙏

📌 होली व्रत का महत्व
होली के दिन महिलाएं परिवार की खुशहाली और संतान सुख के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन किए गए उपवास और पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

 

🌿 पूजन विधि 🌿
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में भगवान विष्णु और होलिका माता की प्रतिमा स्थापित करें।
होलिका दहन स्थल पर जल, हल्दी, गुड़, चावल, कुमकुम, नारियल आदि अर्पित करें।
गाय के गोबर से होलिका माता की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करें।
गेंहू की बालियों, नारियल और चने को होलिका अग्नि में अर्पित करें।
परिवार की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए मंत्रों का जाप करें।
होलिका दहन के बाद, भस्म को तिलक के रूप में लगाएं और घर में सुख-शांति की कामना करें।
💡 होलिका दहन के दौरान ध्यान देने योग्य बातें 💡
✅ होलिका दहन की अग्नि में अर्पित सामग्री को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
✅ अग्नि शांत होने के बाद भस्म को माथे पर लगाएं, इसे शुभ माना जाता है।
✅ होली व्रत करने वाली महिलाएं अगले दिन रंग खेलने के बाद ही व्रत खोलें।

 

🎉 होली का संदेश – प्रेम और भाईचारे का त्योहार 🎉
होली केवल रंगों का त्योहार ही नहीं, बल्कि यह प्रेम, भाईचारे और उत्सव का प्रतीक भी है। इस दिन पुराने गिले-शिकवे मिटाकर, सभी को प्रेम और सौहार्द के रंगों में रंग जाना चाहिए।

 

🌸 होली की हार्दिक शुभकामनाएं! 🌸
🎊 रंगों के इस पावन पर्व पर आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियों की वर्षा हो! 🎊

Share with friends

Category

हिंदू कैलेंडर

Mantra (मंत्र)

Bhajan (भजन)

Scroll to Top