पीपल पथवारी की कहानी (Peepal Pathwari ki Katha)

एक गूज़री थी । उसने अपनी बहू से कहा कि तू दूध – दही बेच आ । तो वह दूध – दही बेचने गई । कार्तिक महीना था । वहां पर सब औरतें पीपल सींचने आती थीं तो वह भी बैठ गई और औरतों से पूछने लगी कि तुम क्या कर रही हो ? तो औरतें बोलीं कि हम तो पीपल की पथवारी सींच रही हैं । तो उसने पूछा- इससे क्या होता है ? औरतों ने जवाब दिया कि इसके करने से अन्न धन मिलता है , वर्षों का बिछड़ा हुआ पति मिलता है ।

उस गूजरी ने कहा कि तुम तो पानी सींच रही हो , मैं दूध – दही से सींचूगी । उसकी सास रोज कहती कि तू दूध – दही बेच कर पैसे लाकर दे , तो उसने कहा जब कार्तिक का महीना पूरा हो जाएगा तब ला दूंगी । और कार्तिक का महीना पूरा हो गया । पूनम् के दिन गूजरी पीपल पथवारी के पास धरणा लेकर बैठ गई । पीपल ने पूछा- कि तू यहां क्यों बैठी है ?

उसने कहा मेरी सास दूध – दही के पैसे मांगेगी । तो पीपल ने कहा- मेरे पास पैसे नहीं हैं । यह पत्थर , डंडे , पान , पत्ते पड़े हैं वह ले जा और गुल्लक में रख देना । जब सास ने पूछा- पैसे लाई है ? तो गूजरी ने कहा मैंने पैसे गुल्लक में रखे हैं । तब सास ने गुल्लक खोल कर देखी तो सास देखती रह गई कि उसमें हीरे मोती जगमगा रहे हैं , पत्थर, डंडे और पत्तों का धन हो गया ।

सास बोली कि बहू इतना पैसा कहां से लाई । तो बहू ने आकर देखा तो बहुत धन पड़ा है । तब गूजरी ने कहा – सासू जी मैंने तो एक महीना दूध – दही से पीपल की पथवारी में सींचा था और मैंने उससे धन मांगा था तो उसने मुझे पत्थर , डंडे , पत्ते दिए थे जो मैंने गुल्लक में रख दिये थे और वह हीरे मोती हो गए । तब सासू जी ने कहा कि अबकी बार मैं भी पथवारी सींचूगी ।

सासू दूध दही तो बेच आती और हाण्डी धोकर पीपल पथवारी में रख आती और बहू से कहती कि तू मेरे से पैसे मांग तो बहू ने कहा कि कभी बहू भी सास से पैसे मांगती है । तो सास बोली कि तू मेरे से पैसे मांग । तो बहू ने सास से दूध – दही के पैसे मांगे । तो सासुजी पीपल पथवारी पर जाकर धरणा लेकर बैठ गई तो डण्डे , पत्ते , पान , भाटे उसे भी दिये और कहा गुल्लक में जाकर रख दे ।

फिर बहू ने खोलकर देखा तो उसमें कीड़े , मकोड़े चल रहे थे । गूजरी ने सास से कहा यह क्या है तो सास देखकर बोली कि पीपल पथवारी ने तेरे को तो अन्न धन दिया और मुझे कीड़े – मकोड़े दिये । तब सब बोले कि बहू तो सत से सींचती थी और सासूजी धन की भूख से सींचती थीं । इसलिए हे पथवारी माता ! जैसे बहू को दिया वैसा सबको देना और, सासूजी को दिया वैसा किसी को मत देना।

Aarti (आरती )

राणी सती की आरती (Aarti of Queen Sati)
श्री हनुमान जी की आरती (Shree Hanuman Ji Ki Aarti)
श्री जगदीशजी की आरती (Shri Jagdishji's Aarti)
श्री खाटू श्याम जी आरती ( Shri Khatu Shyam Ji Ki Aarti )
माँ लक्ष्मीजी आरती (Shri Laxmi Mata Aarti)
श्री सत्यनारायणजी की आरती (Aarti of Shri Satyanarayanji)
माँ सरस्वती आरती (Maa Saraswati Aarti)
महादेव आरती (Mahadev aarti)

Chalisa (चालीसा )

श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa)
श्री शाकम्भरी चालीसा (Shree Shakambhari Chalisa)
नागणेची माता चालीसा | Nagnechi Mata Chalisa
श्री काली चालीसा (Shree Kali Chalisa)
श्री बजरंग बाण (Shri Bajrang Baan)
श्री दुर्गा चालीसा ( Shri Durga Chalisa )
श्री संतोषी माता चालीसा (Shree Santoshi Mata Chalisa)
नवग्रह चालीसा | Navgrah Chalisa

Mantra (मंत्र)

श्री महालक्ष्मी अष्टक ( Shri Mahalakshmi Ashtakam )
शिव मंत्र (Shiva Mantras)
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)
श्री गायत्री मंत्र (Gyatri mata Mantra)
Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Shloka
श्री बजरंग बाण (Shri Bajrang Baan)
राम मंत्र (Rama Mantras)
वक्रतुंड मंत्र ( Vakratunda Mantra)

Bhajan (भजन)

छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल
श्री कल्लाजी का आह्वान (Kallaji's Aahvaan)
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाये
अन्नदाता ने अर्जी (Annadaata Ne Arjee)
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है
कल्लाजी हेलो (kallaji helo)
गातरोड़ जी से प्रार्थना ( कल्लाजी प्रार्थना ) (Prayer to Gatrod ji)
Scroll to Top