माघ चौथ की कहानी (Magh Chauth Ki Kahani)

एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। वह धर्म पुण्य को नहीं मानते थे। इसके कारण उनके कोई बच्चा नहीं था। एक दिन साहूकारनी पडोसी के घर गयी। उस दिन सकट चौथ था, वहाँ पड़ोसन सकट चौथ की पूजा करके कहानी सुना रही थी।

साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा: तुम क्या कर रही हो?
तब पड़ोसन बोली कि आज चौथ का व्रत है, इसलिए कहानी सुना रही हूँ।
तब साहूकारनी बोली: चौथ के व्रत करने से क्या होता है?
तब पड़ोसन बोली: इसे करने से अन्न, धन, सुहाग, पुत्र सब मिलता है।
तब साहूकारनी ने कहा: यदि मेरा गर्भ रह जाये तो में सवा सेर तिलकुट करुँगी और चौथ का व्रत करुँगी।

श्री गणेश भगवान की कृपया से साहूकारनी के गर्भ रह गया। तो वह बोली कि मेरे लड़का हो जाये, तो में ढाई सेर तिलकुट करुँगी। कुछ दिन बाद उसके लड़का हो गया, तो वह बोली कि हे चौथ भगवान! मेरे बेटे का विवाह हो जायेगा, तो सवा पांच सेर का तिलकुट करुँगी। कुछ वर्षो बाद उसके बेटे का विवाह तय हो गया और उसका बेटा विवाह करने चला गया। लेकिन उस साहूकारनी ने तिलकुट नहीं किया। इस कारण से चौथ देव क्रोधित हो गये और उन्होंने फेरो से उसके बेटे को उठाकर पीपल के पेड़ पर बिठा दिया। सभी वर को खोजने लगे पर वो नहीं मिला, हतास होकर सारे लोग अपने-अपने घर को लौट गए। इधर जिस लड़की से साहूकारनी के लड़के का विवाह होने वाला था, वह अपनी सहेलियों के साथ गणगौर पूजने के लिए जंगल में दूब लेने गयी।

तभी रास्ते में पीपल के पेड़ से आवाज आई: ओ मेरी अर्धब्यहि!
यह बात सुनकर जब लड़की घर आयी, उसके बाद वह धीरे-धीरे सूख कर काँटा होने लगी।

एक दिन लड़की की माँ ने कहा: मैं तुम्हें अच्छा खिलाती हूँ, अच्छा पहनाती हूँ, फिर भी तू सूखती जा रही है? ऐसा क्यों?
तब लड़की अपनी माँ से बोली कि वह जब भी दूब लेने जंगल जाती है, तो पीपल के पेड़ से एक आदमी बोलता है कि ओ मेरी अर्धब्यहि।

उसने मेहँदी लगा राखी है और सेहरा भी बांध रखा है। तब उसकी माँ ने पीपल के पेड़ के पास जा कर देखा, यह तो उसका जमाई ही है। तब उसकी माँ ने जमाई से कहा: यहाँ क्यों बैठे हैं? मेरी बेटी तो अर्धब्यहि कर दी और अब क्या लोगे?
साहूकारनी का बेटा बोला: मेरी माँ ने चौथ का तिलकुट बोला था लेकिन नहीं किया, इस लिए चौथ माता ने नाराज हो कर यहाँ बैठा दिया। यह सुनकर उस लड़की की माँ साहूकारनी के घर गई और उससे पूछा कि तुमने सकट चौथ का कुछ बोला है क्या?
तब साहूकारनी बोली: तिलकुट बोला था। उसके बाद साहूकारनी बोली मेरा बेटा घर आजाये, तो ढाई मन का तिलकुट करुँगी।

इससे श्री गणेश भगवन प्रसंन हो गए और उसके बेटे को फेरों में लाकर बैठा दिया। बेटे का विवाह धूम-धाम से हो गया। जब साहूकारनी के बेटा एवं बहू घर आगए तब साहूकारनी ने ढाई मन तिलकुट किया और बोली हे चौथ देव! आप के आशीर्वाद से मेरे बेटा-बहू घर आये हैं, जिससे में हमेसा तिलकुट करके व्रत करुँगी। इसके बाद सारे नगर वासियों ने तिलकुट के साथ सकट व्रत करना प्रारम्भ कर दिया।

हे सकट चौथ! जिस तरह साहूकारनी को बेटे-बहू से मिलवाया, वैसे ही हम सब को मिलवाना। इस कथा को कहने सुनने वालों का भला करना।

Ek sahukar aur ek sahukarni the. Vah dharm punya ko nahi maante the. Iska karan unke koi bachcha nahi tha. Ek din sahukarni padosi ke ghar gayi. Us din Sakat Chauth tha, vahan padosan Sakat Chauth ki puja karke kahani suna rahi thi.

Sahukarni ne padosan se puchha: Tum kya kar rahi ho? Tab padosan boli ki aaj Sakat Chauth ka vrat hai, isliye kahani suna rahi hoon. Tab sahukarni boli: Sakat Chauth ke vrat karne se kya hota hai? Tab padosan boli: Isse karne se ann, dhan, suhag, putra sab milta hai. Tab sahukarni ne kaha: Agar mera garbh rah jaaye to main sava ser tilakut karungi aur Sakat Chauth ka vrat karungi.

Shri Ganesh Bhagwan ki kripa se sahukarni ke garbh rah gaya. To vah boli ki mere ladka ho jaaye, to main dhaai ser tilakut karungi. Kuch din baad uske ladka ho gaya, to vah boli ki, “Hey Sakat Chauth Bhagwan! Mere bete ka vivah ho jayega, to main sava paanch ser ka tilakut karungi.” Kuch varsho baad uske bete ka vivah tay ho gaya aur uska beta vivah karne chala gaya. Lekin us sahukarni ne tilakut nahi kiya. Is karan se Sakat Chauth Dev krodhit ho gaye aur unhone pheron se uske bete ko uthakar peepal ke ped par bitha diya. Sabhi var ko khojne lage par voh nahi mila, hatas hokar saare log apne-apne ghar ko laut gaye.

Idhar jis ladki se sahukarni ke bete ka vivah hone wala tha, vah apni saheliyon ke saath Gangaur poojne ke liye jungle mein doob leni gayi.

Tabhi raaste mein peepal ke ped se awaaz aayi: “O meri ardhavyahi!” Yeh baat sunkar jab ladki ghar aayi, uske baad voh dheere-dheere sukh kar kaanta hone lagi.

Ek din ladki ki maa ne kaha: Main tumhe achha khilati hoon, achha pehnati hoon, phir bhi tu sukh rahi hai? Aisa kyun? Tab ladki ne apni maa se boli ki voh jab bhi doobne jaati jungle, to peepal ke ped se ek aadmi bolta hai ki “O meri ardhavyahi.”

Usne mehendi laga rakhi hai aur sehra bhi bandh rakha hai. Tab uski maa ne peepal ke ped ke paas jaakar dekha, yeh to uska jamai hi hai. Tab uski maa ne jamai se kaha: Yahaan kyun baithe hain? Meri beti to ardhavyahi kar di aur ab kya loge? Sahukarni ka beta bola: Meri maa ne Sakat Chauth ka tilakut bola tha lekin nahi kiya, isliye Sakat Chauth Mata ne naaraz ho kar yahaan bitha diya. Yeh sunkar voh ladki ki maa sahukarni ke ghar gayi aur usse puchha ki tumne Sakat Chauth ka kuch bola hai kya? Tab sahukarni boli: Tilakut bola tha. Uske baad sahukarni ne bola, “Mera beta ghar aa jaaye, to main dhaai mann ka tilakut karungi.”

Isse Shri Ganesh Bhagwan prasann ho gaye aur uske bete ko pheron mein laakar bitha diya. Bete ka vivah dhoom-dhaam se ho gaya. Jab sahukarni ke bete aur bahu ghar aaye, tab sahukarni ne dhaai mann tilakut kiya aur boli, “Hey Sakat Chauth Dev! Aapke ashirwad se mere bete-bahu ghar aaye hain, jisse main hamesha tilakut karke vrat karungi.” Iske baad saare nagar wasiyon ne tilakut ke saath Sakat Chauth vrat karna prarambh kar diya.

Hey Sakat Chauth! Jis tarah sahukarni ko bete-bahu se milvaya, vaise hi hum sab ko milvana. Is katha ko kehte sunte raho, sabko bhala karo.

Aarti (आरती )

शैलपुत्री माता आरती (Shailputri Mata Aarti)
श्री हनुमान जी की आरती (Shree Hanuman Ji Ki Aarti)
करवा चौथ आरती
सन्तोषी माता की आरती (Santoshi Mata Ki Aarti)
माँ लक्ष्मीजी आरती (Shri Laxmi Mata Aarti)
तुलसी माता आरती (Tulsi Mata Aarti)
वैष्णोदेवी जी की आरती (Aarti of Vaishno Devi)
श्री सत्यनारायणजी की आरती (Aarti of Shri Satyanarayanji)

Chalisa (चालीसा )

श्री रामदेव चालीसा (Shri Ramdev Chalisa)
श्री हनुमान चालीसा ( Shree Hanuman Chalisa )
श्री राधा चालीसा (Shri Radha Chalisa)
श्री लक्ष्मी चालीसा (Shree Lakshmi Chalisa)
श्री संतोषी माता चालीसा (Shree Santoshi Mata Chalisa)
नागणेची माता चालीसा | Nagnechi Mata Chalisa
श्री परशुराम चालीसा (Shree Parshuram Chalisa)
श्री श्याम चालीसा (Shree Shyam Chalisa)

Mantra (मंत्र)

शिव मंत्र (Shiva Mantras)
वक्रतुंड मंत्र ( Vakratunda Mantra)
विष्णु मंत्र (Vishnu Mantras)
ब्रह्म गायत्री मन्त्र (Brahma Gayatri Mantra)
श्री महालक्ष्मी अष्टक ( Shri Mahalakshmi Ashtakam )
Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Shloka
Karpur Gauram
श्री गायत्री मंत्र (Gyatri mata Mantra)

Bhajan (भजन)

घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो
श्री कल्लाजी का आह्वान (Kallaji's Aahvaan)
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाये
रंग मत डाले रे सांवरिया म्हाने गुजर मारे रे
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है
छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
कल्लाजी हेलो (kallaji helo)
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